Bhajan:- Mukunda Mukunda Krishna
Singer:- Sadhana Sargam
Audio Type:- MP3

 

 

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा, मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा विरिन्दा विरिन्दा।

मटकी से माखन फिर से चुरा
गोपियों का विरह तू आके मिटा॥

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा, मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा विरिन्दा विरिन्दा।

मैं कठपुतली, डोर तेरे साथ
कुछ भी नही है अब मेरे हाथ|

जय जय राम, जय जय राम,
जय जय राम, जय जय राम
सीता राम, जय जय राम,
जय जय राम, जय जय राम|

हे नंदलाला हे कृष्णा स्वामी
तुम तो हो ज्ञानी ध्यानी अंतर्यामी।

महिमा तुम्हारी जो भी समझ ना पाए
ख़ाक में मिल जाए वो खल्कामी।

ऐसा विज्ञान जो भी तुझ को ना माने,
तेरी श्रद्धालुओं की शक्ति ना जाने।

जो पाठ पढाया था तुमने गीता का अर्जुन को
वो आज भी सच्ची राह दिखाए मेरे जीवन को।

मेरी आत्मा को अब ना सता
जल्दी से आके मोहे दरस दिखा॥

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा, मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा विरिन्दा विरिन्दा।

नैया मजधार में भी तुने बचाया
गीता का ज्ञान दे के जग को जगाया।

छू लिया ज़मीन से ही, आसमान का तारा
नरसिंघा का रूप धर के हिरन्य को मारा।

रावण के सर को काटा राम रूप ले के
राधे का मन चुराया प्रेम रंग दे के।

मेरे नयनों में फूल खिले सब तेरी खुशबू के
मैं जीवन साथी चुन लूं तेरे पैरों को छू के।

किसके माथे सजाऊं मोर पंख तेरा
कई सदियों जन्मों से तू है मेरा॥

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा, मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा विरिन्दा विरिन्दा।

मोरा गोविंदा लाला मोरा तन का सांवर जी का गोरा।
उसकी कही ना कोई खबर आता कहीं ना वो तो नज़र।
आजा आजा झलक दिखाजा देर ना कर आ आजा गोविंदा गोपाला।

मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा, मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा विरिन्दा विरिन्दा

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