Bhajan:- Shri Ram Amritwani
Singer:- Anuradha Paudwal
Lable:- Super Cassettes Industries Limited

Audio Type:- MP3

॥ श्री राम अमृतवाणी॥
Shri Ram Amritwani Lyrics

 

रामामृत पद पावन वाणी,
राम नाम धुन सुधा सामानी,
पावन पाथ राम गन ग्राम,
राम राम जप राम ही राम !

परम सत्य परम विज्ञान,
ज्योति स्वरूप राम भगवान,
परमानंद, सर्वशक्तिमान,
राम परम है राम महान !

अमृत ​​वाणी नाम उच्चाहरान,
राम राम सुख सिद्धिकारण,
अमृतवानी अमृत श्री नाम,
राम राम मुद मंगल धाम !

अमृतरूप राम-गुण गान,
अमृत-कथन राम व्याख्यान,
अमृत-वचन राम की चर्चा,
सुधा सम गीत राम की अर्चा !

अमृत ​​मनन राम का जाप,
राम राम प्रभु राम अलाप,
अमृत ​​चिंतन राम का ध्यान,
राम शब्द में सूचि समाधन !

अमृत ​​रसना वही कहवा,
राम-राम, जहां नाम सुहावे,
अमृत ​​कर्म नाम कमानी,
राम-राम परम सुखदायी !

अमृत ​​राम-नाम जो ही ध्यावे,
अमृत पद सो ही जन पावे,
राम-नाम अमृत-रास सार,
देता परम आनन्द अपार !

राम-राम जप हे माणा,
अमृत वाणी मान,
राम-नाम मे राम को,
सदा विराजित जान !

राम-नाम मद-मंगलकारी,
विध्ण हरे सब पातक हारी,
राम नाम शुभ-शकुण महान,
स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण !

राम-राम श्री राम-विचार,
मानी उत्तम मंगलाचार,
राम-राम मन मुख से गाना,
मानो मधुर मनोरथ पाना !

राम-नाम जो जन मन लावे,
उसमे शुभ सभी बस जावे,
जहां हो राम-नाम धुन-नाद,
भागे वहा से विषम विषाद !

राम-नाम मन-तप्त बुझावे,
सुधा रस सीच शांति ले आवे,
राम-राम जपिये कर भाव,
सुविधा सुविध बने बनाव !

राम-नाम सिमरो सदा,
अतिशय मंगल मूल,
विषम विकट संकट हरन,
कारक सब अनुकूल !

जपना राम-राम है सुकृत,
राम-नाम है नाशक दुष्कृत,
सिमरे राम-राम ही जो जन,
उसका हो शुचित्र तन-मन !

जिसमे राम-नाम शुभ जागे,
उस के पाप-ताप सब भागे,
मन से राम-नाम जो उच्चारे,
उस के भागे भ्रम भय सारे !

जिस मन बस जाए राम सुनाम,
होवे वह जन पूर्णकाम,
चित में राम-राम जो सिमरे,
निश्चय भव सागर से तारे !

राम-सिमरन होव साहै,
राम-सिमरन है सुखदायी,
राम सिमरन सब से ऊंचा,
राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा !

राम-राम हे सिमर मन,
राम-राम श्री राम,
राम-राम श्री राम-भज,
राम-राम हरि-नाम !

मात पिता बांधव सूत दारा,
धन जन साजन सखा प्यारा,
अंत काल दे सके ना सहारा,
राम-नाम तेरा तारण हारा !

सिमरन राम-नाम है संगी,
सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी,
यूग-यूग का है राम सहेला,
राम-भगत नहीं रहे अकेला !

निर्जन वन विपद हो घोर,
निबर्ध निशा तम सब ओर,
जोत जब राम नाम की जागे,
संकट सर्व सहज से भागे !

बाधा बड़ी विषम जब आवे,
वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे,
राम नाम जपिये सुख दाता,
सच्चा साथी जो हितकर त्राता !

मन जब धैर्य को नहीं पावे,
कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे
राम नाम जपे चिंता चूरक,
चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक !

शोक सागर हो उमड़ा आता,
अति दुःख में मन घबराता,
भजिये राम-राम बहु बार,
जन का करता बेड़ा पार !

करधी घरद्धि कठिनतर काल,
कष्ट कठोर हो क्लेश कराल,
राम-राम जपिये प्रतिपाल,
सुख दाता प्रभु दीनदयाल !

घटना घोर घटे जिस बेर,
दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर,
जपिये राम-नाम बिन देर,
रखिये राम-राम शुभ टेर !

राम-नाम हो सदा सहायक,
राम-नाम सर्व सुखदायक,
राम-राम प्रभु राम की टेक,
शरण शान्ति आश्रय है एक !

पूँजी राम-नाम की पाइये,
पाथेय साथ नाम ले जाइये,
नाशे जन्म मरण का खटका,
रहे राम भक्त नहीं अटका !

राम-राम श्री राम है,
तीन लोक का नाथ,
परम-पुरुष पावन प्रभु,
सदा का संगी साथ !

यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग,
वन कुटी वास अति वैराग,
राम-नाम बिना नीरस फोक,
राम-राम जप तरिये लोक !

राम-जाप सब संयम साधन,
राम-जाप है कर्म आराधन,
राम-जाप है परम-अभ्यास,
सिम्रो राम-नाम सुख-रास !

राम-जाप कही ऊंची करनी,
बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी,
राम-राम महा-मंत्र जपना,
है सुव्रत नेम तप तपना !

राम-जाप है सरल समाधि,
हरे सब आधी व्याधि उपाधि,
रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान,
डाटा राम है सब सुख !

राम-राम चिन्तन सुविचार,
राम-राम जप निश्चय धार,
राम-राम श्री राम-ध्याना,
है परम-पद अमृत पाना !

राम-राम श्री राम हरी,
सहज पराम है योग,
राम-राम श्री राम जप,
देता अमृत-भोग !

नाम चिंतामणि रत्न अमोल,
राम-नाम महिमा अनमोल,
अतुल प्रभाव अति-प्रताप,
राम-नाम कहा तारक जाप !

बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष,
राम-राम जप शुभ-संतोष,
राम-राम श्री राम-राम मंत्र,
तंत्र बीज परात्पर यन्त्र !

बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे,
राम-राम जप दोष विनाशे,
कुण्डलिनी बोधे, सुष्मना खोले,
राम मंत्र अमृत रस घोले !

उपजे नाद सहज बहु-भांत,
अजपा जाप भीतर हो शांत,
राम-राम पद शक्ति जगावे,
राम-राम धुन जभी रमावे !

राम-नाम जब जगे अभंग,
चेतन-भाव जगे सुख संग,
ग्रंथि अविद्या टूटे भारी,
राम-लीला की खिले फुलवारी !

पतित-पावन परम-पाठ,
राम-राम जप योग,
सफल सिद्धि कर साधना,
राम-नाम अनुराग !

तीन लोक का समझीये सार,
राम-नाम सब ही सुखकार,
राम-नाम की बहुत बरदाई,
वेद पुराण मुनि जन गाई !

यति सती साधू संत सयाने,
राम नाम निष्-दिन बखाने,
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर,
जाप्ते राम-नाम सब सुखकर !

भावना भक्ति भरे भजनीक,
भजते राम-नाम रमणीक,
भजते भक्त भाव-भरपूर,
भ्रम-भय भेद-भाव से दूर !

पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान,
पावन-परम पाठ ही मान,
करते राम-राम जप-ध्यान,
सुनते राम अनहद तान !

इस में सुरति सुर रमाते,
राम राम स्वर साध समाते,
देव देवीगन दैव विधाता,
राम-राम भजते गनत्राता !

राम राम सुगुणी जन गाते,
स्वर-संगीत से राम रिझाते,
कीर्तन-कथा करते विद्वान्,
सार सरस संग साधनवान !

मोहक मंत्र अति मधुर,
राम-राम जप ध्यान,
होता तीनो लोक में,
राम-नाम गन-गान !

मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल,
मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल,
मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज,
सच्चा है राम-राम जप काज !

मिथ्या है वाद-विवाद विरोध,
मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ,
राम-नाम जप सत्य निधान !

सत्य-मूलक है रचना साड़ी,
सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि,
बीज से तरु मक्करधी से तार,
हुआ त्यों राम से जग विस्तार !

विश्व-वृक्ष का राम है मूल,
उस को तू प्राणी कभी न भूल,
सां-साँस से सीमार सुजान,
राम-राम प्रभु-राम महान !

लाया उत्पत्ति पालना-रूप,
शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप,
आदि अन्त और मध्य है राम,
अशरण-शरण है राम-विश्राम !

राम-राम जप भाव से,
मेरे अपने आप,
परम-पुरुष पालक-प्रभु,
हर्ता पाप त्रिताप !

राम-नाम बिना वृथा विहार,
धन-धान्य सुख-भोग पसार,
वृथा है सब सम्पद सम्मान,
होव तँ यथा रहित प्रान !

नाम बिना सब नीरस स्वाद,
ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद,
नाम बिना नहीं साजे सिंगार,
राम-नाम है सब रस सार !

जगत का जीवन जानो राम,
जग की ज्योति जाज्वल्यमान,
राम-नाम बिना मोहिनी-माया,
जीवन-हीं यथा तन-छाया !

सूना समझीये सब संसार,
जहां नहीं राम-नाम संचार,
सूना जानिये ज्ञान-विवेक,
जिस में राम-नाम नहीं एक !

सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे,
बने जो राम-नाम बिन थोथी,
राम-नाम बिन वाद-विचार,
भारी भ्रम का करे प्रचार !

राम-नाम दीपक बिना,
जान-मन में अंधेर,
रहे इस से हे मम-मन,
नाम सुमाला फेर !

राम-राम भज कर श्री राम,
करिये नित्य ही उत्तम काम,
जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप,
करिये राम-राम कर जाप !

करिये गमनागम के काल,
राम-जाप जो कर्ता निहाल,
सोते जागते सब दिन याम,
जपिये राम-राम अभिराम !

जाप्ते राम-नाम महा माला,
लगता नरक-द्वार पै टाला,
जाप्ते राम-राम जप पाठ,
जलते कर्म बंध यथा काठ !

तान जब राम-नाम की तूती,
भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे,
मनका है राम-नाम का ऐसा,
चिंता-मणि पारस-मणि जैसा !

राम-नाम सुधा-रस सागर,
राम-नाम ज्ञान गुण-अगर,
राम-नाम श्री राम-महाराज,
भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज !

राम-नाम सब तीर्थ-स्थान,
राम-राम जप परम-स्नान,
धो कर पाप-ताप सब धुल,
कर दे भया-भ्रम को उन्मूल !

राम जाप रवि-तेज सामान
महा-मोह-ताम हरे अज्ञान,
राम जाप दे आनंद महान,
मिले उसे जिसे दे भगवान् !

राम-नाम को सिमरिये,
राम-राम एक तार,
परम-पाठ पावन-परम,
पतित अधम दे तार !

माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात,
राम-कृपा हरे सब उत्पात,
राम-कृपा लेवे अंट सँभाल,
राम-प्रभु है जन प्रतिपाल !

राम-कृपा है उच्तर-योग,
राम-कृपा है शुभ संयोग,
राम-कृपा सब साधन-मर्म,
राम-कृपा संयम सत्य धर्म !

राम-नाम को मन में बसाना,
सुपथ राम-कृपा का है पाना,
मन में राम-धुन जब फिर,
राम-कृपा तब ही अवतार !

रहूँ मैं नाम में हो कर लीं,
जैसे जल में हो मीन अड़ीं,
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ,
परम प्रभु को भीतर लाऊँ !

भक्ति-भाव से भक्त सुजान,
भजते राम-कृपा का निधान,
राम-कृपा उस जान में आवे,
जिस में आप ही राम बसावे !

कृपा प्रसाद है राम की देनी,
काल-व्याल जंजाल हर लेनी,
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद,
राम-नाम दे रहित विवाद !

प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता,
ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता,
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी,
राम-राम जापे अमृत-वाणी !

औषध राम-नाम की खाईये,
मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये,
राम-नाम अमृत रस-पान,
देता अमल अचल निर्वाण !

राम-राम धुन गूँज से,
भाव-भया जाते भाग,
राम-नाम धुन ध्यान से,
सब शुभ जाते जाग !

माँगूँ मैं राम-नाम महादान,
करता निर्धन का कल्याण,
देव-द्वार पर जनम का भूखा,
भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा !

पर हूँ तेरा-यह लिए टेर,
चरण पारधे की राखियो मेर,
अपना आप विरद-विचार,
दीजिये भगवन! नाम प्यार !

राम-नाम ने वे भी तारे,
जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे,
कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक,
तर गए राम-नाम ले एक !

तर गए धृति-धारणा हीं,
धर्म-कर्म में जन अति दीन,
राम-राम श्री राम-जप जाप,
हुए अतुल-विमल-अपाप !

राम-नाम मन मुख में बोले,
राम-नाम भीतर पट खोले,
राम-नाम से कमल-विकास,
होवें सब साधन सुख-रास !

राम-नाम घट भीतर बसे,
सांस-साँस नस-नस से रसे,
सपने में भी न बिसरे नाम,
राम-राम श्री राम-राम-राम !

राम-नाम के मेल से,
साध जाते सब-काम,
देव-देव देवी यादा,
दान महा-सुख-धाम !

अहो मैं राम-नाम धन पाया,
कान में राम-नाम जब आया,
मुख से राम-नाम जब गाया,
मन से राम-नाम जब ध्याया !

पा कर राम-नाम धन-राशि,
घोर-अविद्या विपद विनाशी,
बर्धा जब राम प्रेम का पूर,
संकट-संशय हो गए दूर !

राम-नाम जो जापे एक बेर,
उस के भीतर कोष-कुबेर,
दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल,
राम-राम जप होव निहाल !

हृदय राम-नाम से भरिये,
संचय राम-नाम दान करिए,
घाट में नाम मूर्ती धरिये,
पूजा अंतर्मुख हो करिये !

आँखें मूँद के सुनिये सितार,
राम-राम सुमधुर झनकार,
उस में मन का मेल मिलाओ,
राम-राम सुर में ही समाओ !

जपूँ मैं राम-राम प्रभु राम,
ध्याऊँ मैं राम-राम हरे राम,
सिमरूँ मैं राम-राम प्रभु राम,
गाऊं मैं राम-राम श्री राम !

अमृतवाणी का नित्य गाना,
राम-राम मन बीच रमाणा,
देता संकट-विपद निवार,
करता शुभ श्री मंगलाचार !

राम-नाम जप पाठ से,
हो अमृत संचार,
राम-धाम में प्रीति हो,
सुगुण-गैन का विस्तार !

तारक मंत्र राम है,
जिस का सुफल अपार,
इस मंत्र के जाप से,
निश्चय बने निस्तार !

बोलो राम, बोलो राम,
बोलो राम राम राम !

error: Content is protected !!
Scroll to Top